March 15, 2020

श्लोक


श्लोक

श्रूयतांधर्मसर्वस्वंश्रुत्वाचैवावधार्यताम्।
आत्मन्ःप्रतिकूलानिपरेषां न समाचरेत्॥

अन्वयः
धर्मसर्वस्वंश्रूयतां, श्रुत्वा च एवअवधार्यताम्, आत्मन्ःप्रतिकूलानिपरेषां न समाचरेत्।

अर्थात्
धर्म के तत्व को सुनो और सुनकर उसको ग्रहण (धारण) करो, उसका पालन करो। अपने (लिये) प्रतिकूल व्यवहार का आचरण दूसरों के प्रति कभी नहीं करना चाहिये अर्थात्  जो व्यवहार आपको अपने लिये पसन्द नहीं है, वैसा आचरण दूसरों के साथ नहीं करना चाहिये।

March 13, 2020

श्लोक



श्रूयतां श्लोक्

वृत्तं यत्नेन् संरक्षेद् वित्तमेति च् याति च्।
अक्षीणो वित्ततः क्षीणो वृत्ततस्तु हतो हतः॥-मनुस्मृतिः

अन्वयः
वृत्तं यत्नेन् संरक्षेत् वित्तम् एति च् याति च्। वित्ततः क्षीणो तु अक्षीणः वृत्ततः तु हतो हतः॥

अर्थात्
हमें अपने आचरण् (चरित्र्) की प्रयत्नपूर्वक् रक्षा करनी चाहिये, क्योंकि धन् तो आता है और् चला जाता है। धन् के नष्ट् हो जाने पर् मनुष्य् नष्ट् नहीं होता परन्तु चरित्र् या आचरण् नष्ट् हो जाने पर् मनुष्य् भी नष्ट् हो जाता है।

March 8, 2020

श्लोक


श्लोक
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्माद तदेव वक्तव्यं वचने का दरिद्रता॥

अन्वयः

प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे जन्तवः तुष्यन्ति, तस्मात तत एव वक्तव्यं, वचने का दरिद्रता।

अर्थात

प्रिय वाणी बोलने से सब प्राणी प्रसन्न होते हैं। हमें हमेशा मीठा ही बोलना चाहिये, मीठे वचन बोलने में कैसी दरिद्रता अर्थात बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिये।

August 28, 2019

व्यवसायी पुरूष- नामानि


व्यवसायी पुरूष- नामानि


बढ़ई                 Carpenter        तक्षकः
डाक्टर              Doctor             चिकित्सकः
राजमिस्त्री        Mason             स्थपतिः
दर्ज़ी                  Tailor               सौचिकः
नाई                  Barber             नापितः
डाकिया             Postman          पत्रवाहकः
खजाँची             Cashier            कोषाध्यक्षः
ग्वाला               Milkman          गोपः
कुम्हार             Potter              कुम्भकारः
किसान             Farmer            कृषकः
जुलाहा              Weaver           तन्तुवायः
सुनार               Goldsmith        स्वर्णकारः
मोची                Cobbler           चर्मकारः
हलवाई             Confectiner     कान्दविकः
लुहार                Blacksmith      लौहकारः
धोबी                 Washerman    रजकः
गडरिया            Herdsman       पशुपालकः
मेहतर              Sweeper          मार्जकः

February 16, 2016

Sanskrit Shlok

आज का श्लोक

आपत्सु मित्रं जानीयात् युद्धे शूरमृणेशुचिम् ।
भार्यां क्षीणेषु वित्तेषु व्यसनेषु च बान्धवान् ॥

अन्वय

आपत्सु मित्रं, युद्धे शूरम्, ऋणे शुचिम्,क्षीणेषु वित्तेषु भार्यां, व्यसनेषु च बान्धवान् जानीयात् ।

अर्थात्

कठिनाइयों में मित्र को, युद्ध में बलशाली को, कर्ज में गुणी को, धन के नष्ट होने पर पत्नी को, और विपत्तियों में सम्बन्धियों को जानो ।

Meaning in English
 
Friend in difficulties, The powerful in war, In debt the virtuous, The wife in wealth destruction,

And know relatives in plagues.

December 8, 2015

संस्कृत वर्णमाला (The Sanskrit Alphabet)

 वर्णमाला
(The Alphabet)


संस्कृत में कुल ४६ वर्ण होते हैं । जिसमें १३ स्वर, ३३ व्यंजन हैं ।
वर्ण भाषा की वह इकाई है जिसके और खण्ड नहीं हो सकते  वर्ण दो प्रकार के होते हैं-

11) स्वर    स्वर वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती । ये १३ स्वर इस प्रकार हैं-

) सामान्य स्वर - , , , , , , 
) मिश्रित स्वर  - , , , , , लृ

  2)  व्यंजन   ये कुल ३३ हैं-

स्पर्श-वर्ण                कवर्ग   क्  ख्  ग्  घ्  ङ्
चवर्ग   च्  छ्  ज्  झ्  ञ्
टवर्ग    ट्  ठ्  ड्  ढ्  ण्
तवर्ग    त्  थ्  द्  ध्  न्
पवर्ग    प्  फ्  ब्  भ्  म्

अन्तःस्थ                 य्  र्  ल्  व्

ऊष्म                               श् ष्  स्  ह्

इनके अतिरिक्त अनुस्वार (.) और विसर्ग (:) व्यंजन वर्णमाला में न होते हुए भी वर्णों की ही तरह कार्य करते हैं ।

संयुक्त व्यंजन

क्+ष् = क्ष्               त्+र् =त्र्                  ज्+ञ् =ज्ञ्

ये तीन व्यंजन भी वर्णमाला में प्रयोग किये जाते हैं । यथा - कक्ष, छात्र, यज्ञ आदि ।

वर्ण-विच्छेद

वर्ण से बड़ी इकाई शब्द है जो वर्णों (स्वर तथा व्यंजन) के मेल से बनती है । इसे निम्नलिखित शब्दों के वर्ण-विच्छेद (अलग-अलग करने) से समझें -

छात्र = छ्++त्+र्+
छात्रा = छ्++त्+र्+
रमा = र्++म्+
बालक = ब्++ल्++क्+

अकारान्त शब्द

यदि शब्द का अंतिम वर्ण  हो तो वह अकारान्त कहलाता है । यथा - राम, बालक, छात्र, अध्यापक, वृक्ष, पुस्तक इत्यादि ।

आकारान्त शब्द

यदि शब्द का अंतिम वर्ण  हो तो वह आकारान्त कहलाता है । यथा - रमा, बालिका, छात्रा, अध्यापिका, चेतना आदि ।

November 27, 2015

Sanskrit Shlok

श्लोक

रूप-यौवन-सम्पन्नाः विशाल-कुल-सम्भवाः ।
विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धाः इव किंशुकाः ॥

अन्वय

(ये) रूपयौवनसम्पन्नाः, विशाल-कुल-सम्भवाः, विद्याहीनाः (सन्ति । ते) निर्गन्धाः किंशुकाः इव न शोभन्ते ।

अर्थात्

(जो लोग) सुंदर रूपयुवावस्था से युक्त, ऊँचे कुल में उत्पन्न, विद्या से हीन (हैं । वे) बिना सुगंध वाले पलाश के फूल के समान शोभा नहीं करते हैं । 

Meaning in English


(The people) who are beautiful and fitted with puberty, Born in a higher clan and are 
knowledge deficient. (They) do not suit as like a Bastard Teak flower which is  without
any fragrance.

श्लोक

श्लोक श्रूयतांधर्मसर्वस्वंश्रुत्वाचैवावधार्यताम्। आत्मन्ःप्रतिकूलानिपरेषां न समाचरेत्॥ अन्वयः धर्मसर्वस्वंश्रूयतां, श्रुत्वा ...