December 8, 2015

संस्कृत वर्णमाला (The Sanskrit Alphabet)

 वर्णमाला
(The Alphabet)


संस्कृत में कुल ४६ वर्ण होते हैं । जिसमें १३ स्वर, ३३ व्यंजन हैं ।
वर्ण भाषा की वह इकाई है जिसके और खण्ड नहीं हो सकते  वर्ण दो प्रकार के होते हैं-

11) स्वर    स्वर वर्ण के उच्चारण में किसी अन्य वर्ण की सहायता नहीं ली जाती । ये १३ स्वर इस प्रकार हैं-

) सामान्य स्वर - , , , , , , 
) मिश्रित स्वर  - , , , , , लृ

  2)  व्यंजन   ये कुल ३३ हैं-

स्पर्श-वर्ण                कवर्ग   क्  ख्  ग्  घ्  ङ्
चवर्ग   च्  छ्  ज्  झ्  ञ्
टवर्ग    ट्  ठ्  ड्  ढ्  ण्
तवर्ग    त्  थ्  द्  ध्  न्
पवर्ग    प्  फ्  ब्  भ्  म्

अन्तःस्थ                 य्  र्  ल्  व्

ऊष्म                               श् ष्  स्  ह्

इनके अतिरिक्त अनुस्वार (.) और विसर्ग (:) व्यंजन वर्णमाला में न होते हुए भी वर्णों की ही तरह कार्य करते हैं ।

संयुक्त व्यंजन

क्+ष् = क्ष्               त्+र् =त्र्                  ज्+ञ् =ज्ञ्

ये तीन व्यंजन भी वर्णमाला में प्रयोग किये जाते हैं । यथा - कक्ष, छात्र, यज्ञ आदि ।

वर्ण-विच्छेद

वर्ण से बड़ी इकाई शब्द है जो वर्णों (स्वर तथा व्यंजन) के मेल से बनती है । इसे निम्नलिखित शब्दों के वर्ण-विच्छेद (अलग-अलग करने) से समझें -

छात्र = छ्++त्+र्+
छात्रा = छ्++त्+र्+
रमा = र्++म्+
बालक = ब्++ल्++क्+

अकारान्त शब्द

यदि शब्द का अंतिम वर्ण  हो तो वह अकारान्त कहलाता है । यथा - राम, बालक, छात्र, अध्यापक, वृक्ष, पुस्तक इत्यादि ।

आकारान्त शब्द

यदि शब्द का अंतिम वर्ण  हो तो वह आकारान्त कहलाता है । यथा - रमा, बालिका, छात्रा, अध्यापिका, चेतना आदि ।

November 27, 2015

Sanskrit Shlok

श्लोक

रूप-यौवन-सम्पन्नाः विशाल-कुल-सम्भवाः ।
विद्याहीनाः न शोभन्ते निर्गन्धाः इव किंशुकाः ॥

अन्वय

(ये) रूपयौवनसम्पन्नाः, विशाल-कुल-सम्भवाः, विद्याहीनाः (सन्ति । ते) निर्गन्धाः किंशुकाः इव न शोभन्ते ।

अर्थात्

(जो लोग) सुंदर रूपयुवावस्था से युक्त, ऊँचे कुल में उत्पन्न, विद्या से हीन (हैं । वे) बिना सुगंध वाले पलाश के फूल के समान शोभा नहीं करते हैं । 

Meaning in English


(The people) who are beautiful and fitted with puberty, Born in a higher clan and are 
knowledge deficient. (They) do not suit as like a Bastard Teak flower which is  without
any fragrance.

November 26, 2015

Sanskrit Shlok

श्लोक

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नमः ॥

अन्वय

गुरुः ब्रह्मा (अस्ति), गुरुः विष्णुः (अस्ति), गुरुः देवः महेश्वरः (च अस्ति), गुरुः साक्षात् परब्रह्म (अस्ति), तस्मै श्रीगुरवे  नमः ।

अर्थात्

गुरु ब्रह्मा हैंगुरु विष्णु हैं और गुरु महादेव हैं । गुरु ही प्रत्यक्ष भगवान हैं । इसलिये अपने गुरु को नमस्कार करो । 
Meaning in English


Brahma is the master, Vishnu is the master and Shiva is also the master. Master is directly God, So  greet your master.

November 23, 2015

Sanskrit Shlok

श्लोक

उद्यमेन हि सिध्यन्ति, कार्याणि न मनोरथैः ।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगः ॥

अन्वय

(यथा) सुप्तस्य सिंहस्य मुखे मृगाः न हि प्रविशन्ति ॥ (तदैव) कार्याणि उद्यमेन हि सिध्यन्ति मनोरथैः  न (सिध्यन्ति) 

अर्थात्

जिस प्रकार सोते हुए शेर के मुख में मृग स्वयं ही प्रवेश नहीं करता हैउसी प्रकार कार्य परिश्रम से ही सफल होते हैं, इच्छाओं से नहीं ।

Meaning in English


As the antelope does not enter the sleeping lion’s mouth by itself, In the same way we can succeed in our work only if we work hard not from desires.

November 14, 2015

Sanskrit Shlok

श्लोक

हंस श्वेतः बकः श्वेतः, को भेदः बकहंसयोः ।
नीरक्षीरविवेके तु हंसो हंसः बको बकः ॥

अन्वय

हंस श्वेतः बकः श्वेतः, बकहंसयोः कः भेदः नीरक्षीरविवेके तु हंसः हंस, बकः बकः ॥

अर्थात्

हंस सफेद है, बगुला सफेद है, तो हंस और बगुले में क्या भेद है जिस प्रकार पानी और दूध में भेद करने के ज्ञान से पानी, पानी होता है और दूध , दूध होता है । उसी प्रकार हंस, हंस होता है, बगुला, बगुला ही होता है ।

Meaning in English

Swan is white, heron is white then what is the difference between swan and heron?

The way to distinguish water and milk, water is water and milk is milk. Similarly the swan is swan & the heron is heron.

October 26, 2015

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)


श्लोक

कोऽन्धः? योऽकार्यरतः, को बधिरः? यो हितानि न शृणोति।
को मूकः? यः काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति॥

अन्वय

अन्धः कः? यः अकार्यरतः। बधिरः कः? यः हितानि न शृणोति। मूकः कः? यः काले प्रियाणि वक्तुं न जानाति॥
  
अर्थात्

अन्धा कौन है ? जो बुरे कार्यों में संलग्न रहता है । बहरा कौन है ? जो हितकारी बातों को नहीं सुनता । गूँगा कौन है ? जो उचित समय पर प्रिय वाक्य बोलना नहीं जानता ।

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)


श्लोक

कस्य वशे प्राणिगणः ? सत्यप्रियभाषिणो विनीतस्य ।
क्व स्थातव्यम् ? न्याय्ये पथि दृष्टादृष्टलाभाढाये ॥


अन्वय

कस्य वशे प्राणिगणः ? सत्यप्रियभाषिणः विनीतस्य । क्व स्थातव्यम् ? दृष्टादृष्टलाभाढ्ये न्याय्ये पथि ॥

अर्थात्


किसके वश में प्राणियों का समूह रहता है ?  सत्य प्रिय बोलने वाले विनम्र व्यक्ति के । कहाँ रहना चाहिये ? भाग्य के लाभों से युक्त न्याय के मार्ग पर ।

October 17, 2015

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)
  
श्लोक

किम् मरणम् ? मूर्खत्वम्, किम् चानर्घम् ? यदवसरे दत्तम् ।
आमरणात्किं शल्यम् ? प्रच्छन्न यत्कृतं पापम् ॥

अन्वय

मरणम् किम्? मूर्खत्वम्। अनर्घम् च किम्? यत् अवसरे दत्तम्। आमरणात् शल्यम् किम्? यत् पापम् प्रच्छन्न कृतं।
  
अर्थात्

मरने के समान क्या है ? मूर्खता । मूल्यवान वस्तु क्या है ? जो उचित समय पर दी जाये । मृत्युपरान्त काँटे के समान क्या है ? गुप्त रूप से जो पाप कर्म किया गया हो ।
  
Meaning in English


What is similar to death ? Stupidity. What is valuable commodity ? The thing which is given at the right time. After death, what is similar to thorn ? Bad works done secretly.

October 11, 2015

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)

  
श्लोक

कोऽनर्थफलः ? मानः, का सुखदा ? साधुजनमैत्री ।
सर्वव्यसनविनाशे को दक्षः ? सर्वथा त्यागी ॥

अन्वय

अनर्थफलः कः ? मानः, सुखदा का ? साधुजनमैत्री । सर्वव्यसनविनाशे कः दक्षः ? सर्वथा त्यागी ॥

 अर्थात्

बुरा फल देने वाला क्या है ? अहंकार ।  सुख देने वाली कौन है ?  साधुजनों की मित्रता । समस्त बुराइयों का विनाश करने में कौन निपुण है ? सब प्रकार से त्याग करने वाला व्यक्ति ।
  
Meaning in English

What gives evil results? Ego. Who gives pleasure? Friendship of noble persons. Who is accomplished in the destruction of all the vices? A person who can sacrifice in every way.


October 10, 2015

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)


श्लोक

नलिनीदलगतजलवत्तरलं किम्? यौवनं धनं चायुः ।
कथय पुनः के शशिनः किरणसमाः? सज्जना एव ॥

 अन्वय

नलिनीदलगतजलवत् तरलं किम्? यौवनं, धनं आयुः च । पुनः कथय, शशिनः किरणसमाः के? सज्जना एव ।
  
अर्थात्

कमलिनी के पत्ते पर स्थिर जल के बिन्दु के समान नष्ट हो जाने वाला क्या है? यौवन, धन और आयु । अब बतलाओ, चंद्रमा की किरणों के समान कौन है ? सज्जन पुरुष ही ।

Meaning in English


What is the thing which gets destroyed like the drops of water resting on the leaves of a lotus plant? Puberty, wealth and age. Now tell, what is similar to rays of moon? Gentleman. 

October 6, 2015

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)

 श्लोक

किम् जीवितम् ? अनवद्यम्, किम् जाड्यम् ? पाठतोऽप्यनभ्यासः ।
को जागर्ति ? विवेकी, का निद्रा ? मूढता जन्तोः ॥ 

अन्वय

जीवितम् किम् ? अनवद्यम् । जाड्यम् किम् ? पाठतः अपि अनभ्यासः । कः जागर्ति ? विवेकी। निद्रा  ? जन्तोः मूढता ।

अर्थात्

कौन-सा जीवन सार्थक है ? जो कलंक रहित हो । क्या मूर्खता है ?  पढ़ने के बाद भी अभ्यास न करना ।  कौन जागरुक है ? जो सत्य असत्य का ज्ञान रखता है । नींद के समान क्या है ? प्राणियों की मूर्खता ।

Meaning in English


Which life is meaningful? The one which is irreproachable. What is nonsense?  After reading not  exercising. Who is aware? The one who has knowledge of the truth lies. What is same as sleep? Foolishness of creatures.

October 4, 2015

Prashnottarratnamaalika

(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)

 श्लोक

कः पथ्यतरः ? धर्मः, कः शुचिरिह ? यस्य मानसं शुद्धम् ।
कः पण्डितः ? विवेकी, किं विषम् ? अवधीरणा गुरुषु ॥


अन्वय

पथ्यतरः कः ? धर्मः। इह शुचिः कः ? यस्य मानसं शुद्धम् । पण्डितः कः ? विवेकी । विषम् किं ? गुरुषु वधीरणा ॥

अर्थात्

कल्याणकारी क्या है ? कर्तव्य । इस लोक में पवित्र क्या है ? जिसका मन शुद्ध हो । विद्वान कौन है ? जो सत्य असत्य का ज्ञान रखता है । विष क्या है ? गुरुओं का अपमान करना अर्थात् उनकी बात का तिरस्कार करना ।

Meaning in English

What is beneficial? Duty. What is holy in this world? The one whose heart is pure. Who is a scholar? The one who keeps the knowledge of truth and lie. What is poison? To disrespect the masters i.e. not to listen to their words.


October 2, 2015

Prashnottarratnamaalika



(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)

श्लोक

भगवन्किमुपादेयम्? गुरुवचनम्, हेयमपि च किम्? अकार्यम्।
को गुरुः? अधिगततत्वः शिष्यहितायोद्यतः सततम्॥

अन्वय

भगवन् ! उपादेयम् किम् ? गुरुवचनम् । अपि च हेयम्  किम् ? अकार्यम्। कः गुरुः ? सततम् शिष्यहिताय उद्यतः अधिगततत्वः ॥

अर्थात्

हे भगवान! ग्रहण करने योग्य क्या है? गुरु के वचन। और त्यागने योग्य भी क्या है? बुरे कार्य। कौन गुरु है? जिसने तत्वों का ज्ञान अर्जित कर लिया हो और निरंतर ही शिष्य के हित के लिए प्रयत्नशील रहता है।

Meaning in English

O God! What is fit to be received? Master’s words. And what is to be abandoned? Unapproved deeds. Who is the Master? The one who has understood the Supreme Reality and is constantly striving for the interests of the pupil.


September 30, 2015

Sanskrit Shlok

श्लोक

न तथा शीतलसलिलं न चन्दनरसो न शीतला छाया।
प्रह्लादयति च पुरुषं, यथा मधुरभाषिणी वाणी॥

अन्वय

यथा मधुरभाषिणी वाणी पुरुषम् प्रह्लादयति तथा शीतल-सलिलम् न, चन्दनरसः न, शीतला छाया च न (प्रह्लादयति) ।

अर्थात्

जैसे मीठी वाणी मनुष्य के दिल को खुश करती है, वैसे न तो ठंडा जल, न चंदन का रस और न ठंडी छाया मनुष्य के दिल को प्रसन्न करती है।

Meaning in English


As sweet voice pleases the heart of a human, likewise neither cold water nor the essence of sandal tree nor the cold shade make the heart of a human to feel happy.

श्लोक

श्लोक श्रूयतांधर्मसर्वस्वंश्रुत्वाचैवावधार्यताम्। आत्मन्ःप्रतिकूलानिपरेषां न समाचरेत्॥ अन्वयः धर्मसर्वस्वंश्रूयतां, श्रुत्वा ...