October 2, 2015

Prashnottarratnamaalika



(निम्नलिखित श्लोक श्री आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी दिये गये हैं।)

श्लोक

भगवन्किमुपादेयम्? गुरुवचनम्, हेयमपि च किम्? अकार्यम्।
को गुरुः? अधिगततत्वः शिष्यहितायोद्यतः सततम्॥

अन्वय

भगवन् ! उपादेयम् किम् ? गुरुवचनम् । अपि च हेयम्  किम् ? अकार्यम्। कः गुरुः ? सततम् शिष्यहिताय उद्यतः अधिगततत्वः ॥

अर्थात्

हे भगवान! ग्रहण करने योग्य क्या है? गुरु के वचन। और त्यागने योग्य भी क्या है? बुरे कार्य। कौन गुरु है? जिसने तत्वों का ज्ञान अर्जित कर लिया हो और निरंतर ही शिष्य के हित के लिए प्रयत्नशील रहता है।

Meaning in English

O God! What is fit to be received? Master’s words. And what is to be abandoned? Unapproved deeds. Who is the Master? The one who has understood the Supreme Reality and is constantly striving for the interests of the pupil.


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श्लोक

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