(निम्नलिखित श्लोक श्री
आदिगुरु शङ्कराचार्य द्वारा लिखित प्रश्नोत्तररत्नमालिका से लिये गये हैं। इन
श्लोकों की विशेषता यह है कि इनमें प्रश्न पूछे गये हैं तथा साथ ही उनके उत्तर भी
दिये गये हैं।)
श्लोक
कस्य वशे प्राणिगणः ? सत्यप्रियभाषिणो विनीतस्य ।
क्व स्थातव्यम् ? न्याय्ये पथि दृष्टादृष्टलाभाढाये ॥
अन्वय
कस्य वशे प्राणिगणः ? सत्यप्रियभाषिणः विनीतस्य । क्व स्थातव्यम् ? दृष्टादृष्टलाभाढ्ये
न्याय्ये पथि ॥
अर्थात्
किसके वश में प्राणियों का समूह रहता
है ? सत्य प्रिय बोलने वाले विनम्र व्यक्ति
के । कहाँ रहना चाहिये ? भाग्य के लाभों से युक्त न्याय के मार्ग पर ।
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