श्लोक
प्रियवाक्यप्रदानेन
सर्वे तुष्यन्ति जन्तवः।
तस्माद तदेव
वक्तव्यं वचने का दरिद्रता॥
अन्वयः
प्रियवाक्यप्रदानेन सर्वे जन्तवः तुष्यन्ति, तस्मात तत एव वक्तव्यं, वचने का
दरिद्रता।
अर्थात
प्रिय वाणी
बोलने से सब प्राणी प्रसन्न होते हैं। हमें हमेशा मीठा ही बोलना चाहिये, मीठे वचन बोलने
में कैसी दरिद्रता अर्थात बोलने में कंजूसी नहीं करनी चाहिये।
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