श्लोक
न तथा शीतलसलिलं न चन्दनरसो न शीतला छाया।
प्रह्लादयति च पुरुषं, यथा मधुरभाषिणी वाणी॥
अन्वय
यथा मधुरभाषिणी वाणी पुरुषम् प्रह्लादयति तथा शीतल-सलिलम् न, चन्दनरसः न, शीतला छाया च न (प्रह्लादयति) ।
अर्थात्
जैसे मीठी वाणी मनुष्य के दिल को खुश करती है, वैसे न तो ठंडा जल,
न चंदन का रस और न ठंडी छाया मनुष्य के दिल को प्रसन्न करती है।
Meaning in English
As sweet voice pleases the heart of a human, likewise
neither cold water nor the essence of sandal tree nor the cold shade make the
heart of a human to feel happy.